कश्मीर की विवादित घाटी के विभिन्न विवाद और तर्क : एक विश्लेषण

कश्मीर समस्या की जब हम बात करते हैं तो हमें कई तरह के विचार व विवाद नजर आते हैं ।जिनमें से कई विचारों और विवादों पर आज हम चर्चा करेंगे।

पर सबसे पहले मैं आप सभी से यह विडियो देखने की अपील करता हूँ जो की एक आतंकवादी के पिता का है ।




1.पहला विचार या तर्क यह दिया जाता है कि पाकिस्तान की ओर से कश्मीर को एक विवादित मुद्दा बनाया गया है और पाकिस्तान वहां पर पूरी तरह से कश्मीरी अलगाववादियों को ऐसा ड्राइविंग फोर्स उपलब्ध कराता है जिससे कश्मीर की समस्या में और ज्यादा इजाफा होता है और काफी हद तक यह बात सही भी है।
लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि वह ऐसा क्या DRIVING FORCE है जो पाकिस्तान को मदद करता है कश्मीरियों को आतंक की तरफ झुकने के लिए?
क्या वो DRIVING FORCE किसी धार्मिक किताब से मिलता है? लेकिन ऐसी क्या चीज है जो उन अलगाववादियों या भारतीय परिपेक्ष में आतंकवादियों को ड्राइविंग फोर्स देती है।


क्या वह एक ऐसी धार्मिक किताब में कुछ पन्ने हैं जो कि उसमें घी का काम करते हैं और उस कारण से वहां पर अस्थिरता फैलाना आसान होता है।

और हम इस धार्मिक परेशानी का वैश्विक परिदृश्य में भी सामना कर रहे हैं चाहे वो इजरायल-फिलिस्तीन मामला हो या फिर यूरोप के कई देशों में बढ़ता है इस्लामिक आतंकवाद हो ।
यही ड्राइविंग फोर्स कश्मीर समस्या की भी जड़ है। किसी के घर में चोरी करना बहुत आसान हो जाता है यदि उस घर का कोई व्यक्ति चोर के साथ मिला हुआ हो।
यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है जब किसी आतंकवादी का पिता उसके मरने के बाद उसको एक शहादत कहे और कहे कि "अल्लाह की शान में मरना ,अल्लाह का कार्य करते हुए मरना इससे ज्यादा शान की बात और क्या हो सकती है"। यदि कोई पिता ऐसा कहता है तो इससे कश्मीर समस्या को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है यह समझना मुश्किल नहीं है कि मुद्दा धार्मिक है या फिर नहीं?


2. बेरोजगारी की समस्या का कश्मीर के आतंकवाद की जड़ है या यह केवल एक मिथक है? और अगर यह एक समस्या है तो जम्मू में क्यों नहीं आतंकवाद दिखाई देता ?


कश्मीर की समस्या के लिए बेरोजगारी को भी अक्सर एक तर्क के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है और यह भी कहा जाता है कि वहां पर रोजगार मौजूद नहीं है इसीलिए युवा वहां पर पत्थरबाज़ बन रहे हैं और आतंक की तरफ झुक रहे हैं पर यह तर्क बिहार जैसे राज्य पर लागू क्यों नहीं होता है? वहां पर भी बेहद बेरोजगारी है पर वहां का युवा बंदूक या पत्थर उठाने की बजाय रोजगार की तलाश में पूरे देश के विभिन्न हिस्सों में क्यों जाता है?

कश्मीरी हिन्दुओं का पलायन 
और यदि बेरोजगारी की समस्या है तो इससे पहले इसमें कभी कश्मीरी हिंदू जिन्हें 1990 में कश्मीर से बर्बर तरीके से मार-कर काट कर गैर-इस्लामिक होने के कारण भगा दिया गया था वह शामिल क्यों नहीं थे?
लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि एक आईएएस टॉपर भी अपनी नौकरी छोड़ कर यह बात कहे की मुस्लिम खतरे में है और कई पढ़े-लिखे युवा भी जो पूरे भारत में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं और उनके पास अच्छी खासी पढ़ाई है उसके बावजूद भी वह आतंकवाद की ओर क्यों आकर्षित हो जाते हैं।।
ऐसी कौन सी किताब है जो इतना ड्राइविंग फोर्स देती है कि वह अपने आप को मानव बम के तौर पर उड़ाने को भी तैयार हो जाते हैं क्योंकि यदि समस्या बेरोजगार की होती तो आदमी अपने आप को उड़ाने को क्यों तैयार हो जाता ?यदि समस्या बेरोजगारी की होती तो कश्मीरी हिंदू भी क्यों नहीं बंदूक उठा लेता ? यह चीजें जम्मू में क्यों नहीं होतीं?
3.इस समस्या के ऐतिहासिक परिदृश्य पश्चिमी देशों का वैश्विक प्रभाव??

कई बार तरकी है भी दिए जाते हैं कि कश्मीर समस्या हो या ईरान की समस्या हो या फिर इजरायल की समस्या हो इसमें कहीं ना कहीं अमेरिका का हाथ रहा है जो कि आतंकवादियों को समर्थन देता है चाहे वह परोक्ष रूप से हो चाहे अपरोक्ष रूप से हो लेकिन अमेरिका का हाथ उस में रहता है । चाहे फिर वह तालिबान खड़ा करना रहा हो या आईएसआईएस का मुद्दा रहा हो, वहां पर हथियारों को पहुंचाना रहा हो ,वहां पर अमेरिका का दखल आराम से देखा जा सकता है जो कि सत्य बात भी है ।

पर यदि अमेरिका ऐसा कर पाता है तो ऐसा उसे क्या आधार मिल जाता है जिस कारण से उसे ऐसा करना आसान हो जाता है ?
तालिबान यदि किसी लड़की को बुर्का पहनने पर गोली मारता है तो क्यों मारता है इस पर भी विचार किया जाना चाहिए ,क्या यह एक धार्मिक किताब की सोच का नतीजा नहीं है ?क्या यह एक धार्मिक किताब की कट्टरता का नतीजा नहीं है? अब हम ईरान की इस्लामिक क्रांति की बात करें तो हमें यह देखना होगा कि इस्लामिक क्रांति से पहले का इरान कैसा था और आज का कैसा है ।
निश्चित तौर पर क्रांति से पहले कि ईरान में अमेरिका का काफी दखल रहा और वहां पर मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाई गईं और वहां पर कई क्रांतियां हुईं।
वहां के असल मुद्दों को दबाकर अमेरिका ने वहां का खूब दोहन किया, लेकिन इस्लामिक क्रांति के बाद अमेरिका के जाने के बाद वहां पर जिन मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ी गई थी वह सुलझे या नहीं? या फिर ईरान केवल एक कट्टर इस्लामिक मुल्क बन गया जहां महिलाओं की स्थिति बदतर होना शुरू हो गई ।
क्या जिसके लिए युवा लड़े थे और उन्होंने अपनी जान गंवाई थी वह पर पूरा भी हुआ है या फिर नहीं ?
या फिर ईरान केवल एक कठपुतली बनकर रह गया है पहले अमेरिका का और अब कट्टरवादी इस्लामिक नेताओं का??
तो यदि कश्मीर की समस्या को पश्चिमी देश या फिर पाकिस्तान हवा दे पा रहा है तो वह ऐसी क्या बात है जो उसे ऐसा करने में सरलता प्राप्त प्रदान कर रही है ?
किस धार्मिक किताब की कौन सी पंक्तियां उन्मादी जिहाद को बढ़ावा दे रही हैं?
क्योंकि यह समस्या वैश्विक है और फ्रांस समेत कई यूरोपीय देश इस धार्मिक इस्लामिक आतंकवाद का सामना कर रहे हैं और आगे भी सामना करने की उम्मीद है तो क्या ऐसे हम उस ओर अपना ध्यान ना डालें जो इस समस्याओं की मूल जड़ है ? क्या हम फिर से किसी चार्ली हेब्दो का इंतजार कर रहे हैं?
सबको मालूम है समस्या क्या है ,पर हम उसको बोलना नहीं चाह रहे हैं, हम हिचक रहे हैं बोलने से??
4. आतंकवाद के दो प्रकार एक जो खत्म किया जा सके और दूसरा जिसे खत्म करना नामुमकिन??



नक्सलवाद का आतंकवाद ,उल्फा या बोडोलैंड या फिर श्रीलंका में लिट्टे का आतंकवाद ,कहीं ना कहीं वहां पर मुद्दे बेरोजगारी ,क्षेत्रीय अत्याचार ,क्षेत्रीय अधिग्रहण या भाषाई आधार पर भेदभाव रहे हैं और यह सब ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें बातचीत करके और समस्याओं का समाधान करके खत्म किया जा सकता है। पर यदि समस्या कोई धार्मिक हो और किसी किताब पर लिखी बातों को मानकर यदि युवा बंदूक थाम लें तो उस प्रकार के आतंकवाद को खत्म करना नामुमकिन सा हो जाता है क्योंकि वह आतंकवाद आपको बचपन से किसी धार्मिक स्थल के द्वारा सिखाया जाता है और उसे मिटाना काफी परेशानी भरा हो जाता है, शायद हम हटा भी ना पाएं, क्योंकि यह बौद्धिक आतंकवाद है जो ब्रेनवाश का काम करता है । इसे मिटाया नहीं जा सकता क्योंकि यह किसी PRACTICAL SITUATION पर आधारित ना होकर केवल एक रचनात्मकता पर आधारित है।।
5.क्या यहां STATE का FAILURE है?



इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता कि यह एक STATE FAILURE है और हमेशा से ही राज्य ने इस क्षेत्र में ध्यान नहीं दिया और उसको केवल अपनी राजनीति के हिसाब से इस्तेमाल किया और जिस चीज को हल करने का सरल तरीका हो सकता था उसको COMPLEX यानि उलझा हुआ बनाए रखा और SEPARATIST LEADERS को ज्यादा महत्व दिया गया जिन को इतना महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए था, जिसके कारण स्थिति और बदतर हुई ,जिसके कारण कश्मीरी हिंदुओं का जबरदस्त पलायन हुआ और जो दोषी थे उनको सजा न देकर सरकार ने यह भी जता दिया कि कश्मीर में भारत का राज नहीं है और भारत कश्मीर के कट्टरवादियों को खुली छूट देने को तैयार है??
6.क्या उपाय हो सकते हैं ?
१.वैसे तो समस्या का उपाय होना बड़ा मुश्किल है पर यदि वहां पर यह प्रावधान हटाया जाए कि वहां पर कोई भी गैर-कश्मीरी जमीन नहीं खरीद सकता तो यह राज्य के लिए बड़ा ही लाभकारी कदम होगा।
इस कारण से वहां पर कई उद्योगपतियों को अपनी फैक्ट्री लगाने का मौका मिलेगा जिससे वहां पर रोजगार का सृजन होगा और युवाओं को एक नई दिशा मिल सकेगी और युवा शायद मुख्यधारा में भी आ सके और कश्मीर की पूरी प्रकृति को और पर्यटन का लाभ मिल सके जिस कारण लोकल लोगों को भी लाभ मिल सकेगा।
.२.सबसे महत्वपूर्ण बात जिसे उपाय के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए यह है कि जिन भी धार्मिक स्थलों से भड़काऊ भाषण दिए जाते हैं और जिस से भीड़ उन्मादी बन जाती है और पत्थरबाजी शुरू हो जाती है ऐसी जगहों को तुरंत बैन किया जाए और ऐसे भड़काऊ बयान देने वाले धार्मिक नेताओं को पकड़कर अंदर किया जाए?



पर इसमें हमें उनके पिता और माता का भी सहयोग चाहिए होगा जोअपने बच्चों को वापस बुलाने की ओर कदम बढ़ाए ना कि यह कहने की ओर कि " वह अल्लाह का कार्य कर रहा है और यदि उसमें मेरा बेटा मर भी जाता है तो इसे और बड़ी ख़ुशी की बात क्या होगी "। जब तक यह धार्मिक कट्टरता और जेहादी सोच नहीं हटाई जाएगी तब तक शायद कश्मीर समस्या को हल करना बहुत मुश्किल है ।।


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