सीट नंबर 58 कोच D3 का सफ़र

अपनी जनरल बोगी
काफी सालों से लगातार GENERAL बोगी में सफर करता रहा हूँ तो सीट के लिए एक मशक्कत की आदत सी हो गयी है, पर आज काफी सालों बाद जब RESERVATION वाली कोच में चढ़ा तो देखा सीट के लिए कोई मशक्कत नही थी, जिसकी सीट बुक थी वो उसकी सीट पर पहले से बैठे दुसरे व्यक्ति को उठाकर अपनी सीट पर बैठ रहा था मैं भी उसी डब्बे में बुक अपनी डी 3 बोगी की 58 नंबर पर बैठ गया था।
पर आप यकीन नही करेंगे मुझे वो जनरल बोगी बहुत याद आ रही थी जिसमे एक बड़ी सी सीट में भले 5 की जगह में 7 लोग बैठकर जाते थे और 8वे व्यक्ति को भी एक लकड़ी के टुकड़े बराबर जगह में फिट कर देते थे और आपस में बात करते हुए जाते थे , अपनी व्यथा सुनाते हुए और, आपस में आजकल के राजनीतिक गलियारों की चर्चा करते हुए और बीच बीच में गोला बेचने वाला, नमकीन चाट वाला और चाय वाला आपके बीच में REFRESHMENT का जरिया बन जाता है।

।।शायद वो सुकून और वो लोगों से आपसी बातचीत का तरीका जिसमे धर्म और जाति का कोई बंधन बाधा नही बन सकता है और आप बिना किसी सरकारी तंत्र के डर के अपने किसी भी नेता और अपने प्रधानमंत्री की नीतियों का भी विरोध कर सकते हो और यकीन मानिये वहां आप पर कोई केस दर्ज नही होगा और न ही किसी तोते का डर और आपकी हाँ में हाँ भी मिल जायेगी ,
पर ये क्या RESERVED बोगी में तो सब लोग खुद ही RESERVED हैं, अपने फ़ोन में EARPHONE कान में लगाकर दूसरी दुनिया से बातचीत में व्यस्त होंगे शायद।
हो सकता है ये दूर देश से आये हों, पर यदि टीवी पर कोई चर्चा होगी तो यही लोग ऐसे चर्चा करेंगे जैसे शायद लोकतंत्र इनकी वजह से ही जीवित है।।

पर मुझे ये कोच डी 3 का मौन माहौल बहुत याद रहेगा, जहाँ पर आपसी बातचीत के रास्ते बिलकुल बंद हैं पर अपनी सीट सुरक्षित है ।।

आपका अपना चंदू

RESERVED SEATS में लोग फोन में व्यस्त




Comments

  1. बहुत सुन्दर विचार

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